हार्डवेयर स्टोरेज (जैसे मेमोरी कार्ड, पेन ड्राइव, SSD, इत्यादि) में हमेशा दावा की गई क्षमता से कम स्टोरेज क्यों उपलब्ध होता है?

जब आप कोई नया स्टोरेज डिवाइस खरीदते हैं, जैसे कि मेमोरी कार्ड, पेन ड्राइव, या SSD, तो आपने देखा होगा कि कंप्यूटर में इसकी क्षमता विज्ञापित क्षमता से कम दिखाई देती है। यह थोड़ा उलझा सकता है, खासकर अगर आप डिजिटल स्टोरेज की तकनीकी बातों से वाकिफ नहीं हैं। आइए जानते हैं कि स्टोरेज की असल क्षमता कम क्यों होती है और इसके पीछे की असली वजह क्या है।

हार्डवेयर स्टोरेज (जैसे मेमोरी कार्ड, पेन ड्राइव, SSD, इत्यादि) में हमेशा दावा की गई क्षमता से कम स्टोरेज क्यों उपलब्ध होता है?


हार्डवेयर स्टोरेज का बेसिक

स्टोरेज कंपनियां अक्सर GB (गीगाबाइट) या TB (टेरेबाइट) जैसे पूरे नंबरों का इस्तेमाल करती हैं ताकि ग्राहक इसे आसानी से समझ सकें। लेकिन तकनीकी रूप से इन इकाइयों का मतलब अलग होता है, जिससे असल और दिखाई देने वाली क्षमता में अंतर आता है।

कंपनियां स्टोरेज को डेसिमल सिस्टम (बेस 10) में मापती हैं, जहाँ 1 GB = 1,000 MB होता है। लेकिन कंप्यूटर बाइनरी प्रणाली (बेस 2) का उपयोग करता है, जहाँ 1 GB = 1,024 MB होता है। इस फर्क की वजह से वास्तविक स्टोरेज कम दिखाई देती है।

For example:

  • Advertised (Decimal): 1GB = 1,000MB
  • Actual (Binary): 1GB ≈ 1,024MB

यह अंतर छोटा लग सकता है, लेकिन जब यह गिगाबाइट्स और टेराबाइट्स में बदलता है, तो यह उपयोगी स्पेस में स्पष्ट अंतर बना सकता है।

स्टोरेज डिस्क्रीपेंसी के मुख्य कारण

बाइनरी सिस्टम vs. डेसिमल सिस्टम

बाइनरी सिस्टम में, स्टोरेज क्षमता की गणना डेसिमल सिस्टम से मेल नहीं खाती। इसका मतलब है कि एक डिवाइस जिसे “64 GB” के रूप में बेचा गया है, वह कंप्यूटर में प्लग करने के बाद थोड़ी कम स्टोरेज दिखाएगा।

यह अंतर क्यों कंफ्यूजिंग होता है

बाइनरी और डेसिमल सिस्टम के बीच का यह फर्क करीब 7% तक हो सकता है। उदाहरण के लिए, 64 GB का स्टोरेज डिवाइस आपके कंप्यूटर में लगभग 59.6 GB दिखेगा।

SSD में ओवर-प्रोविज़निंग

अगर आपने देखा है कि SSDs में स्टोरेज अंतर ज्यादा होता है, तो आप सही हैं। SSDs में ओवर-प्रोविज़निंग नामक प्रक्रिया होती है, जिसमें अतिरिक्त स्पेस रिज़र्व किया जाता है ताकि परफॉरमेंस बनी रहे और डिवाइस की उम्र बढ़े। ये अतिरिक्त स्पेस SSD मेमोरी सेल्स की सुरक्षा और कार्यक्षमता बनाए रखने में मदद करता है, लेकिन इससे उपयोग करने लायक स्टोरेज कम हो जाती है।

फ्लैश स्टोरेज में वियर-लेवलिंग

फ्लैश स्टोरेज डिवाइसेज, जैसे मेमोरी कार्ड और पेन ड्राइव, वियर-लेवलिंग तकनीक का उपयोग करते हैं। वियर-लेवलिंग डेटा को समान रूप से स्टोरेज सेल्स में फैलाता है ताकि कुछ हिस्से जल्दी खराब न हो जाएं। ये तकनीक आवश्यक है, लेकिन इससे भी कुछ अतिरिक्त स्पेस रिज़र्व होती है।

निर्माताओं द्वारा मार्केटिंग रणनीतियाँ

निर्माता अक्सर स्टोरेज क्षमता का विज्ञापन डेसिमल सिस्टम में बताए गए अधिक आंकड़े के आधार पर करते हैं। हालांकि यह तकनीकी रूप से सही होता है, लेकिन यह लोगों के अनुभव से मेल नहीं खाता, क्योंकि वास्तविकता बाइनरी सिस्टम में होती है। यह विज्ञापन तरीका कई लोगों को निराश करता है, जब वे अपने डिवाइस की असल क्षमता देखते हैं।

वास्तविक उदाहरण: 64GB पेन ड्राइव

चलिये एक उदाहरण देखते हैं। अगर आप 64GB का पेन ड्राइव खरीदते हैं:

  • ऐडवर्टाइज्ड कैपेसिटी (Decimal): 64,000,000,000 बाइट्स
  • वास्तविक क्षमता (Binary): 64,000,000,000 बाइट्स / (1,024 × 1,024 × 1,024) = लगभग 57.6GB

फॉर्मेटिंग और सिस्टम आवश्यकताओं के बाद, आपको इससे भी कम स्पेस दिखाई दे सकती है, जो थोड़ी निराशा जनक हो सकती है।

सामान्य स्टोरेज में अंतर के उदाहरण

यहां बताया गया है कि विभिन्न स्टोरेज डिवाइसों में आपको वास्तव में कितनी जगह मिलती है:

  • 32GB डिवाइस ≈ 29GB उपयोगी
  • 64GB डिवाइस ≈ 59GB उपयोगी
  • 128GB डिवाइस ≈ 119GB उपयोगी

ये मान थोड़ा अलग हो सकते हैं, क्योंकि यह फाइल सिस्टम और ऑपरेटिंग सिस्टम पर निर्भर करता है। लेकिन सामान्य नियम यही है कि जितना बड़ा स्टोरेज होगा, उतना ही अंतर ज्यादा नजर आएगा।

उपभोक्ताओं की गलतफहमियां और सामान्य सवाल

जब हमें किसी स्टोरेज डिवाइस में उम्मीद से कम स्पेस मिलता है, तो हमें निराशा हो सकती है। लेकिन यहां जो कारण बताए गए हैं, उन्हें समझने से इस भ्रम को दूर किया जा सकता है। ध्यान रखें कि स्टोरेज की कमी हमेशा धोखाधड़ी की वजह से नहीं होती। यह आमतौर पर बाइनरी गणना और स्टोरेज मैनेजमेंट सिस्टम की तकनीकी सीमा के कारण होता है।

उपलब्ध स्टोरेज बढ़ाने के टिप्स

  • क्लाउड स्टोरेज का उपयोग करें: गैर-जरूरी फाइल्स को क्लाउड में रखें ताकि डिवाइस की स्टोरेज बचे।
  • सही फाइल सिस्टम चुनें: अपने जरूरत के हिसाब से फाइल सिस्टम चुनें ताकि स्टोरेज की बचत हो सके।
  • फालतू फाइल्स को डिलीट करें: अनचाही फाइल्स और टेम्परेरी डेटा हटाएं ताकि स्टोरेज ऑप्टिमाइज्ड रहे।

निष्कर्ष

अगली बार जब आप कोई स्टोरेज डिवाइस खरीदें, तो ध्यान रखें कि उसकी विज्ञापित क्षमता और असल usable स्पेस में थोड़ा अंतर होगा। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बाइनरी और डेसिमल कैलकुलेशन, फाइल सिस्टम ओवरहेड, फॉर्मेटिंग और सिस्टम फाइल्स जैसे कारणों से डिवाइस की कुल क्षमता में कुछ कमी आ जाती है। अब जब आपको इसकी वजह पता है, तो आप अपने स्टोरेज का बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं और किसी भी सरप्राइज़ से बच सकते हैं!

FAQs

क्या मैं अपने डिवाइस में गायब स्टोरेज वापस पा सकता हूँ?

नहीं, ये "गायब" स्टोरेज सिस्टम फाइल्स, फॉर्मेटिंग, या ओवर-प्रोविज़निंग के लिए रिज़र्व की जाती है, इसलिए ये एक्सेसिबल नहीं होती।

क्यों निर्माता स्टोरेज अलग तरीके से विज्ञापित करते हैं?

निर्माता डेसिमल सिस्टम का उपयोग करते हैं, जिससे क्षमता बड़ी और आकर्षक लगती है, जबकि कंप्यूटर बाइनरी सिस्टम का उपयोग करता है, जिससे दिखाए गए स्टोरेज में फर्क आता है।


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Rahul

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